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    प्राचार्य

    केंद्रीय विद्यालय कालिम्पोंग 1985 में अस्तित्व में आया और तब से यह कालिम्पोंग में रहनेवाले विद्यार्थियों की शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा कर रहा है। प्राकृतिक और नैसर्गिक सुंदरता से भरपूर, विद्यालय परिसर हर समय शैक्षणिक गतिविधियों से जीवंत है। शिक्षक उन्हें वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ-साथ सार्वभौमिक नैतिक मूल्यों से सुसज्जित करके भावी अच्छे आचरण वाले, अच्छे स्वभाव वाले नागरिकों का निर्माण करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। विद्यार्थियों को ऐसे माहौल में पढ़ाया और प्रशिक्षित किया जाता है ताकि वे बहुलवादी और समावेशी समाज के निर्माण में अपनी रचनात्मक भूमिका निभाने में सक्षम हो सकें जो सभी संस्कृतियों, पंथों, विश्वासों का सम्मान करनेवाले राष्ट्र के रूप में भारत की पहचान है। शिक्षकों के ईमानदार प्रयासों के साथ-साथ माता-पिता के निरंतर सहयोग के कारण विद्यार्थी अच्छे परिणाम दे रहे हैं। शिक्षाविदों के अलावा, विद्यार्थियों ने सह-पाठ्यचर्या संबंधी गतिविधियों में भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया और इस तरह अपने संभावित सार्वजनिक और व्यावसायिक जीवन में आनेवाली भविष्य की चुनौतियों के लिए ख़ुद को तैयार किया है। केंद्रीय विद्यालय संगठन की एक इकाई के रूप में विद्यालय न केवल विद्यार्थियों की शैक्षणिक उत्कृष्टता में बल्कि चरित्र निर्माण में भी विश्वास रखता है क्योंकि महात्मा गांधी ने कहा था कि चरित्र के बिना ज्ञान एक सामाजिक पाप है। इन दिनों हमारा विद्यालय नयी शिक्षा नीति 2020 की विभिन्न नीतियों, विधियों और कार्यक्रमों को लागू करने में व्यस्त है। मेरा मानना है कि आधुनिक समय में शिक्षा एक बुनियादी ज़रूरत बन गई है। केवल रोटी से ही व्यक्ति जीवित नहीं रहता। उसे बढ़ने और फलने-फूलने के लिए शिक्षा की आवश्यकता है। मैं अपने नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर के कथन से अपनी बात समाप्त करना चाहता हूँ; “सर्वोच्च शिक्षा वह है जो हमें केवल जानकारी नहीं देती, बल्कि हमारे जीवन को समस्त अस्तित्व के साथ सामंजस्य बिठाती है।’’